श्यामा का परिवार बड़े लंबे समय से जाति से निष्कासित था। मोहन ने अपने परिवार का नाम फिर से जाति में जुड़वाने के लिए अनेक प्रयत्न किए लेकिन उन्हे सफलता नहीं मिली। बाद में उसे मालूम पड़ा कि इस कार्य में सबसे अधिक रूकावट बंसीलाल डाल रहा था जो जाति का अध्यक्ष था व श्यामा का दूर का रिश्तेदार था । वह ऐक मंदिर में पुजारी था। एक दिन श्यामा बंसीलाल के मंदिर में पहुंची। बंशीलाल लम्बे कद, गौर वर्ण व घनी दाढी मूंछ का व्यक्ति था । उस समय वह लोगों को धर्म का उपदेश दे रहा था । श्यामा ने कहा, ‘ बंसीलालजी हमारे परिवार का नाम जाति में जोड़ने की कृपा करें। ’