कैरियर

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वो रात्रि एक बजे घर पहुंची | स्मरण हो आया कि बेटी से बात करनी थी पर अब वहां तो रात के तीन बज रहे होंगे | इस समय बात करूँ या ना ? दिन में उसका फ़ोन आया था | कितना चहक रही थी ? चहकती क्यों नहीं ? कोई भी लड़की ख़ुशी से उछलती है जब सपनों का राजकुमार मिल जाए...ना ना अब तो ज़माने के साथ भाषा भी बदल गई, अब उसे ‘डूड’ कहते है | नाम कुछ भी दो क्या फ़र्क पड़ता है ? सपना तो अब भी वही की एक अच्छा लड़का मिले | उससे