नियति

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पलाश......... पलाश........कहाँ जा रहे हो?.........अपनी केया को बीच राह में छोड़ कर..........वापिस आजाओ.........मत जाओ मुझसे दूर......पलाश........और एक ह्रदय विदारक चीख के साथ पलाश को पुकारते हुए केया अचानक नींद से जग गई थी........उसका एक हाथ आगे बढ़ा हुआ था, पलाश को बुलाते हुए, और पसीने से नहाई हुई, वह हांफती हुई उठ कर बैठ गई थी. उसका चेहरा आंसुओं से तर था. केया ने अभी अभी अपने पति पलाश को सपने में देखा था, वह बीच नदी में एक पानी के जहाज पर खड़ा हुआ उससे दूर जा रहा था, उसने पिछली वैवाहिक वर्षगांठ पर उसके द्वारा उसे भेंट किया