दीवारें तो साथ हैं - 2

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‘नहीं दीदी सब इतना नहीं कर पाते। पांडे जी का घर देखिए न। उन्होंने तो जब बच्चों ने ज़्यादा परेशान किया, तो सब को अलग कर दिया। इसके बाद जब बेटों ने बैंक में जमा पैसों और पेंशन पर भी नज़र लगाई तो पहले तो विरोध किया। मगर जब बेटे झगड़े पर उतारू हुए, बहुओं ने आफ़त कर दी, जीना हराम कर दिया तो उन्होंने बिना देर किए पुलिस की मदद ली। यहां तक कह दिया कि मियाँ-बीवी को कुछ हुआ तो ज़िम्मेदार यही सब होंगे।