मौलिक 'शेर' पार्ट -241. इस चेहरे की नज़ाकत को यूं ना रखो हिज़ाब में.. ! ये बिजली हैं जो रुक ना सकेगी नकाब में... !!42. हमें वेबफ़ाई की बाजीगरी नहीं आती... ! और तुम्हें बफाई की तरकीब नहीं आती.. !!43. कसक, टीस, गम, नज़र, जान और दिल से ! तन्हाई ही बेहतर हैं इन झूठे लोगों से... !!44. थक गये वो मेरी परवाह करते करते जब से वो लापरवाह हुए जिंदगी में उनके कुछ आराम सा हैं.... !45. उनकी तो फितरत थी सब से दोस्तियाने की हम तो