यह कहानी राजस्थान साहित्य अकादमी की पत्रिका मधुमती के अप्रेल 2018 के अंक में प्रकाशित हो चुकी है। ‘शादी वाले दिन मैं सुर्ख लाल रंग का जरी के काम वाला लंहगा पहनूँगी –बड़ी सी नथ ओर कानों में बड़े बड़े झुमके । गले में दादी वाला कुन्दन का नौलखा हार और हाथ भर छन छन करती हरी हरी चूड़ियाँ। मैं कितनी सुंदर लगूँगी, है न पापा, फिर मेरा सपनों का राजकुमार, आई॰ ए॰ एस अनुराग वर्मा घोड़ी चढ़ कर मुझे अपने साथ ले जाएगा, उफ ............... कितना मजा आएगा, है न पापा? घोड़ी चलेगी टक बक टक बक