चांदनी चौक

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“बहुत अच्छा गाती हैं आप!” मैंने कहा तो वान्या मुस्करा दी, “धन्यवाद, मुझे संगीत बहुत प्रिय है।” अबकी बार मैं हंस पड़ी। विदेशी मूल का व्यक्ति जब हिंदी बोलता है तो वह कितना सजग और औपचारिक होता है। अनुवाद वाली भाषा, शब्दकोष से चुने हुए शब्द! फिर भी, फिरंगियों के मुंह से अपनी भाषा सुनकर अच्छा लगता है, बस इसी लालच में मैं वान्या के नज़दीक चली आई थी और उससे कुछ न कुछ बुलवाना चाह रही थी। “हिंदुस्तान पहले भी आई हो क्या?” “जी नहीं, पहली बार आई हूं। मुझे भारत बहुत अच्छा लगा, मैं यहीं रहना चाहती हूं।”