मौलिक शेर - 1

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नमस्कार दोस्तों.... ! यू तो हर इंसान की जिंदगी में कुछ ना कुछ ख़ास पल होते हैं.... जो खुशियों या ग़म के होते हैं उन्ही कुछ ख़ास पलों के एहसासो को मैंने शायरी में पिरोया हैं... जो पेश हैं "शेर -ए - शान" में..... !------------------------------------------------------------------1. ना ये आसमा होता, ना ये ज़मीं होती ना मै होता ना मिरि ये जिंदगी होती गर माँ............... तुम ना होती.... !ये मेरी माँ को समर्पित हैं जो अब इस दुनियां में नहीं हैं जिन्होंने मुझें इस काविल बनाया मै उनके इस एहसान को किसी भी तरह से नहीं चुका सकता हूं.... ------------------------------------------------------------------2. खामोशिया