पछतावासतीश सरदानासुबह के सवा नौ बजे तीन जन इंछापुरी रेलवे स्टेशन पर उतरे।पैसेंजर ट्रेन की अधिकांश सवारी शिव मंदिर की तरफ मुड़ गई।ये तीन जन उनसे विपरीत खेतों के दरम्यान एक पगडंडी पर बढ़ चले।यह पगडंडी बल खाती सर्पिणी की भांति टेढी मेढ़ी होकर जुते खेतों के बीच से जटशाहपुर जाने वाली सड़क पर जाकर मिल जाती थी।इस पगडंडी से थोड़ा हट कर एक विशाल नीम के तले तीनों रुक गए।इस जगह पर वे ठीक एक साल पहले भी आ चुके थे।फर्क सिर्फ इतना था कि उस दिन खेत की मिट्टी गीली थी।कहीं कहीं पानी भी भरा था।ऐसे ही एक