शौकीलाल जी का खत चोर जी के नाम - 3

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हे चोर महाराज, पत्र-पत्रिकाओं में पढकर, अखबारों में बांचकर, दूरदर्शन में झाँककर मैं ज्यों-ज्यों आप के कारनामो, करिश्मों का अवलोकन करता गया, मेरे सामने आप की महानता का 'पर्दाफाश' होता गया। और अब मैं आप के चरणों में नतमस्तक हूँ।आप केेेवल महान ही नहीं, धनवान भी हैं। 'एक तूू हीं धनवान चोर जी, बाकी सब कंगाल ।' आप के रहमों-करम पर आज दुनिया का हर शख्स जिंदा है। नेेेता, अभिनेेता, मंत्री, संत्री, तंंतरीसेेब के सब आप के चरणों के दास हैैं।आप का प्रसाद ग्रहण कर फल- फूल रहेें हैं। इसलिए हे कृपानिधान, दया के खान, चोर जी महाराज, मुझे