मौजो से भिड़े हो पतवारें बनो तुम

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(1) मौजो से भिड़े हो पतवारें बनो तुम मौजो से भिड़े हो ,पतवारें बनो तुम,खुद हीं अब खुद के,सहारे बनो तुम। किनारों पे चलना है ,आसां बहुत पर,गिर के सम्भलना है,आसां बहुत पर,डूबे हो दरिया जो,मुश्किल हो बचना,तो खुद हीं बाहों के,सहारे बनो तुम,मौजो से भिड़े हो ,पतवारें बनो तुम। जो चंदा बनोगे तो,तारे भी होंगे,औरों से चमकोगे,सितारें भी होंगे,सूरज सा दिन का जो,राजा बन चाहो,तो दिनकर के जैसे,अंगारे बनो तुम,मौजो से भिड़े हो,पतवारें बनो तुम। दिवस के राही,रातों का क्या करना, दिन के उजाले में,तुमको है चढ़ना,सूरजमुखी जैसी,ख़्वाहिश जो तेरीऊल्लू सदृष ना,अन्धियारे बनो तुम,मौजो से भिड़े हो,पतवारें बनो तुम। अभिनय से कुछ भी, ना