एक दशक पहले यूरोप से अफ्रीका जब मेरा आना हुआ तो रुई के फाहे की तरह गिरते बर्फ की जगह यहाँ की ठंडी पुरवाई मेरे मन को लुभाती चली गयी मन हज़ार तरह की आशंकाओं से घिरा था l यूरोप का अत्याधुनिक माहोल और यहाँ के लोग प्रकृति पर पूरी तरह निर्भर l एअरपोर्ट से बाहर आते ही कुछ दूर आने पर शांत समुन्दर जिसमे कोई भी हलचल नही ,जिसके समुन्दर होने पर मुहे यकीं तो नही हुआ लेकिन मेरे मन में एक खूबसूरत एहसास की तरह ठहर गया l मन तुलनात्मक दृष्टिकोण से हर चीज़ को देख रहा था