श्यामा अपने बच्चों के साथ अपने पति के घर लौट गई। उसका पति किशन महाराष्ट्र के एक छोटे गांव में रहता था। वह ब्रम्हाजी के मंदिर में पुजारी था। किशन औसत उंचाई का, दुबला पतला व गोरा लगभग 20 वर्षीय युवक था। वह धोती कुर्ता पहनता था व कहीं विशेष कार्य से बाहर जाने पर सिर पर काली टोपी पहनता था। वह बडे क्रोधी स्वभाव का था व श्यामा पर अपना रौब गांठता रहता था । वह वक्त बेवक्त उसे पीट देता था। मंदिर में प्रायः साधूगण आकर रूका करते थे। किशन मंदिर से होने वाली सारी आय साधुओं की खातिरदारी, तम्बाखू व नशा सेवन में उड़ा देता था।