शौकीलाल जी का खत चोर जी के नाम - 2

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मैं शौकीलाल जी के निवास पर जा धमका। उस वक़्त जनाब बाथरूम का आनंद उठा रहे थे। बाथरूम से आ रही गुनगुनाने की स्वर लहरी उनके आनंद मग्न होने की चुगली कर रही थी। उनके आनंद में खलल डालने का मेरा इरादा नहीं था। मैं चुपचाप उल्टे पांव लौट जाता लेकिन मुझे उनसे भेंट करना जरूरी था। अतएव व्यवधान डालना पड़ा। मैंने उन्हें ऊंची आवाज दी। वे वहीं से ऊंची आवाज में बैठने को कहा फिर गुनगुने लगे। मैं उनके बिस्तर पर ही बैठ गया। कमरे में पड़ी चीजों को बेवजह निहारने लगा। सारी चीजें पुरानी थीं जिन्हें मैं पहले