छलिया कौन

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सब कहते हैं और हमने भी सुना है कि जिंदगी एक अबूझ पहेली है। जिंदगी के रंग कई रे.…. और सबसे गहरा रंग है प्यार का.... और ये रंग गहरा होने के बाद भी अलग अलग तरह से चढ़ता है और कई कई बार चढ़ता है। अब प्यार है ही ऐसी बला कि कोई बच नहीं पाता। प्यार किया नहीं जाता हो जाता है और हर बार कोई अबला छली जाती है.... ये भी सुनते आए थे। आज भी 'छलिया कौन' ये एक बड़ा प्रश्नचिन्ह बनकर मुँह बाए खड़ा है। प्यार को छल मानने को दिल तैयार नहीं