भूख...

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आज मंगलवार है | मैं और श्याम चौराहे के पास वाले हनुमान मंदिर में प्रसाद चढ़ा के सीधा श्याम की बुआ जी को लेने बस अड्डे पहुंच गए, बस लेट थी, इसीलिए हमने वहीँ बैठकर बुआ जी की बस का इंतजार करना सही समझा | मुझे अक्सर भीड़ भाड़ वाली जगहों पे जाना बिल्कुल पसंद नहीं था लेकिन बात दोस्त की थी तो मैं बैठ गया | हम दोनों बस अड्डे के बाहर बात कर रहे थे और श्याम तो हर आने जाने वाली सवारी को देख के कोई ना कोई बात उसके बारे मे बताता |हमे अभी थोड़ी ही