मोबले का एक्सीडेंट हो गया। बुधवार के दिन चौक में बड़ी भीड़ रहती थी। उस दिन बुध-बाज़ार लगती थी। फुटपाथ की पटरियों पर सस्ते सामानों की दूकानें सजती थीं। महँगाई के मारे लोग, एकदम उमड़ पड़ते थे। उस दिन भीड़ के डर से लोग गाडि़यों का रास्ता बदल देते थे। ग़लती से कोई मोटर-गाड़ीवाला भीड़ में फँस जाए तो इंच-इंच सरकने में उसे पसीने आ जाते थे। और भीड़ भी कैसी--औरतें, बच्चे, बूढ़े, कटोरा लिए भिखारी, बीच सड़क पर आराम फरमाती गाय।