परिचयमहाशय सोम एक नैतिक और सामाजिक व्यक्ति हैं ज्ञान का सागर उनके मस्तिष्क मे भरा पड़ा था किन्तु थे वो नास्तिक समाज की धार्मिक नीतियाँ उनको लुभाती तो थी मगर धार्मिकता के उपासक की अंध भक्ति उनके समक्ष केवल मूर्खता थीलोगो को तर्क भरे सामाजिक उपदेश देते जिसके आगे बड़े बड़े विद्वान निरस्त हो कर कट लेते उनका कहना था के ईश्वर केवल मनुष्य की कल्पना उपज हैं और यदि ये सत्य भी हो तो आदमी अपने जीवन के कर्तव्य के प्रति ये कह कर विमुख नहीं हो सकता के ईश्वर की इच्छा या प्रभु ने भाग्य मे जो लिखा हैं वही होगा भाग्य भी