हरनाम सिंह ने पत्र खोल कर पढ़ना शुरु किया। आदरणीय पापा जी, बी’जी पैरीं पैना ! भला कौन जानता था कि कभी मुझे इस तरह भी आपको पत्र लिखना पड़ेगा ? ...और इस तरह आप लोगों को परेशानियों में छोड़, मुझे यूँ चल देना होगा या यूँ कहें कि आप लोगों की कुछ और परेशानियों की वजह मुझे बनना पड़ेगा।