इम्तिहान भले ही किसी भी स्तर का हो, उसका असर विद्यार्थियों पर किसी भूत सा ही होता है। यह भी सच है कि उसका असर वहाँ भी एका-एक नहीं धीरे-धीरे पूरे कैम्पस पर उतरता था। सबसे पहले कॉलेज कैंटीन में ऊंची आवाजों वाले जमावड़े मधुमक्खियों की भिनभिनाहट वाले झुंडों में कायांतरित हो जाते हैं, जिनमे कुछ ऐसे वाक्य सुनायी देते हैं – “तुम्हारे पास नोट्स हैं ?” “कुछ हैं सब नहीं ! मुझे भी मुश्किल होगी!” “चलो फिर भी तुम्हारी कुछ तैयारी तो है ! मेरा तो बुरा हाल है ...” “कहीं से पक्का गेस पेपर मिल जाये तो बात बने..... “अब तो गेस पेपर का ही सहारा है .... “हे ईश्वर अब तुम्हीं बचाना ....”