आखर चौरासी - 29

  • 3.6k
  • 1.2k

वह लगभग दोपहर का समय रहा होगा जब महादेव अपने रात वाले दोस्त के साथ उनके घर आया। ‘‘अंकल जी, बाज़ार से किसी चीज की आवश्यकता हो तो बता दीजिए। मैं ला दूँगा।’’ महादेव ने बैठते हुए कहा। उसकी आवाज़ सुन कर अन्दर से आ कर सतनाम और सुरजीत कौर भी उनके पास बैठ गए। डिम्पल अभी भी अपनी नानी की गोद में ही थी। हरनाम सिंह बोले, ‘‘नहीं बेटा, अभी हमें किसी चीज की जरुरत नहीं है।’’