आखर चौरासी - 24

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परस्पर विरोधी विचारों ने उसका चित्त बुरी तरह अस्थिर कर दिया था। वह एक बात सोचता तो दूसरी बात उसके विचारों को मथने लगती....। फिर उसने निर्णय करते हुए स्वयं से कहा, ‘...खैर जो होगा देखा जाएगा। अभी तो वह जगदीश के कथनानुसार ही चलेगा। अगर वह किसी षड़यंत्र में ही फंस चुका है और उसका अंत इसी प्रकार होना तय है तो यही सही। अभी ऐसे ही चलने दो, उसने सोचा। जब जैसी स्थिति आयेगी, तब उसका वैसे ही सामना किया जाएगा।’ निर्णय ले लेने के कारण गुरनाम दुविधा की स्थिति से निकल आया और उसने ज़रा शांति का अनुभव किया।