आखर चौरासी - 23

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मगर गुरनाम यह देख कर चौंकता है कि उसके मुँह से शेर की गुर्राहट के सिवा और कोई आवाज नहीं निकली। उसने दोबारा प्रयास किया लेकिन परिणाम वही था। वह जितनी ही ज़ोर से बोलने की चेष्टा करता उसकी गुर्राहट उतनी ही तेज होती जाती। उसे उस तरह गुर्राता देख राजकिशोर ने सबको ललकारा, ‘‘देखो....देखो, एक तो नरभक्षी है, दूसरे हम लोगों पर गुर्रा रहा है। मारो स्साले को... मारो!’’