आखर चौरासी - 20

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हरनाम सिंह का पूरा घर अँधेरे में डूबा हुआ था। घर के सभी खिड़की दरवाजे बंद थे। जाड़ों की शामें यूँ भी जल्द खामोश हो जाती हैं। बाहर ठण्ढी हवा साँय-साँय चल रही थी। भीतर हरनाम सिंह, उनकी पत्नी, बेटा-बहू, बेटी तथा पाँच वर्षीय नातिन डिम्पल चुपचाप बैठे थे। केवल उसी कमरे की बत्ती जल रही थी। डिम्पल के लिए तो उन सब चीजों का कोई मतलब समझ में नहीं आ रहा था। वह शाम से ही बाहर जा कर खेलने को मचल रही थी। पिछले दिनों जब से वह अपने मामा की शादी में नाना-नानी के घर आयी थी, उसकी हर शाम लॉन में आस-पड़ोस के बच्चों के साथ खेलती रही थी। हरनाम सिंह के घर का लॉन काफी खुला था।