आखर चौरासी - 19

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फैक्ट्री कैंटीन से जिन्दा बच निकले उन 28 सिक्खों जितने खुशकिस्मत, वे तीन सरदार फैक्ट्री कर्मचारी नहीं थे, जो एक नवंबर की उस काली सुबह अपनी ड्यूटी पर पहुँचे थे। वे तीनों तो इस भरोसे फैक्ट्री आ गये थे कि बाहर की अपेक्षा फैक्ट्री ही उनके लिए सबसे महफूज जगह होगी। उन्हें कहाँ पता था कि उनका दुर्भाग्य फैक्ट्री के गेट पर ही उन तीनों की प्रतीक्षा कर रहा है। वे तीनों जब भीतर जाने के लिए गेट पर पहुँचे, ठीक उसी समय पिछली रात को भेड़ियों-सी आँखें चमकाने वाले लोग, भीतर से बाहर निकल रहे थे। बीती रात फौज आ जाने के कारण अपना शिकार खो चुके उन लोगों की आँखों में एक साथ तीन सरदार देख, फिर से खूनी चमक कौंध गई। आनन-फानन ही सब कुछ तय हो गया था।