आखर चौरासी - 18

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ऐसा ही एक दृष्य विक्की ने दूसरे माले पर स्थित अपने फूफा के फ्लैट की खिड़की से देखा था। अपने पुर्वनिर्धारित कार्यक्रम के अनुसार उस दिन उसे बी.आई.टी. सिन्दरी पहुँच जाना था। मगर उसे फूफा जी ने रोक लिया था। विक्की ने जब अपनी आँखों से सरेआम चौराहे पर सिक्खों को जलाये जाते देखा तो बेचैन हो गया। तुरन्त ही उसका ध्यान गुरनाम और उसके परिवार वालों की ओर गया। उसने मन ही मन भगवान से प्रार्थना की, ‘हे ईश्वर उनकी रक्षा करना।’ फिर वह अपने फूफा के पास जा कर बोला, ‘‘अंकल, मैं वापस घर जा रहा हूँ ।’’ उसके फूफा चौंके , ‘‘क्या, तुम घर जाओगे ? मगर तुम्हें तो अपने कॉलेज जाना है न !’’