बड़ी बाई साब - 1

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“ ॐ सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते !!.......नीचे मंडप में पंडित जी कलश स्थापना कर रहे थे. खिड़की से सिर टेके खड़ी गौरी चुपचाप सारे काम होते देख रही है. छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी ज़रूरत के लिये भी पंडित जी बड़ी बाईसाब को याद करते हैं. हर रस्म के लिये भी उन्हें ही बुलाया जाता है. गौरी को तो यदि किसी ने खबर कर दी तो मंडप में पहुंच जाती है, वरना उसकी अनुपस्थिति में ही रस्म पूरी हो जाती है. कई बार तो गौरी भूल ही जाती है कि ये सारा सरंजाम