बेटियाँ - शर्म नहीं सम्मान है.....

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1. वो दौर-----------न जाने वो कैसा दौर रहा होगा जब बेटियों के पैदा होने पर घर गाँव मे सन्नाटा छा जाता थाकहीं मातम भारी शाम होती थीकहीँ पर बेटियों को दफना दिया जाता थान जाने वो कैसा दौर रहा होगा।।बेटोँ की चाह में इंसान अंधा हो जाता थाबेटियों वाले परिवार को कोसा जाता थाघर की लक्ष्मी को बोझ समझा जाता थाएक बेटी की माँ को तड़पाया जाता था मनहूस और अपशगुन कहा जाता थान जाने वो कैसा दौर रहा होगा।।एक दौर की बेटी, रानी झांसी की कहलाई थीजिसने आज़ादी के लिए लड़ना सिखाया थाएक दौर की एक बेटी ने अंतरिक्ष में नाम हिंदुस्तान का