हे मधुकर...

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1. हे मधुकर हे मधुकर थारो चरण पकड़ी के झुलहुँ।या चरनन के भगति बहुत हैं जो वा चरनन को छूलौ।।हे मधुकर थारो चरन पकड़ी के झुलहुँ...हे मधुकर थारो रंग म्हारे दिल को ले हैं छुलहुँ।या रंग के तो भगति बहुत हैं जो वा रंग वा कू दीखहुँ।।हे मधुकर थारो.......हे मधुकर थारो मोहड़ो म्हारे दिल को छलहूँ।या मोहड़े की तो भगति बहुत है जो चरण पराग लै उड़िहहूँ।हे मधुकर थारो......हे मधुकर थारी आँखन पे बलि बलि जावहुँ।या आँखन कि तो भगति बहुत है जो दुर्लभ दरसन किनहुँ।।हे मधुकर थारो........हे मधुकर थारे कानन पे तो मैं बलिहारी हो जावहुँ।या कानन की तो भगति