आखर चौरासी - 11

  • 3.7k
  • 1.6k

सन 1469 ई., कार्तिक पूर्णिमा को लाहौर से 15 कोस दूर तलवण्डी में जन्मा वह मुस्काता बालक उम्र के साथ-साथ बड़ा हो रहा था। लोग-बाग जहाँ उसके विचित्र कौतुकों को आश्चर्य से देखते, उसके सार्थक तर्कों से चमत्कृत होते। वहीं उसके दुनियादार पिता बड़े परेशान रहते। पिता चाहते थे कि वह घर-बार की चिन्ता करे, परन्तु उसने तो सारे संसार की चिन्ता करनी थी। समाज में चारों ओर अज्ञानता का अंधकार छाया हुआ था। उस समय विभिन्न धर्म अपने-अपने तरीके से स्वर्ग की राह बतला रहे थे। लेकिन सच्ची रोशनी किसी ओर से नज़र नहीं आ रही थी।