घर पर हरनाम सिंह की पत्नी काफी चिन्तित थी। जैसे ही वे घर में घुसे, वह रसोई से निकल कर उनके पास आ गई। ‘‘आज तो आपको जल्दी घर आ जाना चाहिए था। हम सबको बड़ी चिन्ता हो रही थी। मैं तो सतनाम से कह रही थी कि आपको देख आए।’’ सुरजीत कौर चिन्तित स्वर में बोली। ‘‘अरे भलिये लोके, फिकर की कोई बात नहीं थी। मैं ज़रा अपने जगीर सिंह के पास बैठ गया था। आज उनसे बहुत सारी बातें हुईं। बस इसी में ज़रा देर हो गई।’’ हरनाम सिंह ने अपनी पगड़ी उतार कर खूँटी पर टाँगते हुए कहा।