एक अजीब सी बेचैनी तारी हो गई थी मुझ पर...। क्या हो रहा होगा वहाँ...? काश, मैं तुम्हारे साथ होती। वैसे तुम अकेले भी नहीं थे, अच्छा-खासा स्टॉफ़ गया था तुम्हारे साथ...और सबसे बड़ी बात, सचिन था तुम्हारे साथ...तुम्हारा बिजनेस-पार्टनर और पुराना दोस्त...। वैसे बड़ी चिढ़ होती थी मुझे उससे, याद है न...? अक्सर तुम्हारे साथ उसकी पार्टी का प्लान तभी बनता, जब मैं कोई अलग ही प्लान बनाए बैठी होती...। तुम ऐसे में कितनी मनुहार करते थे मेरी...जान, समझा करो न, प्लीज़...। तुम्हारे साथ तो मैं हर पल हूँ, कहाँ भाग जाऊँगा, पर वो बुरा मान जाएगा...।