एक दिन रेल के सफर में

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मैं एक व्यवसायी या कहिये एक सफल व्यवसायी रहा हूँ। अपने जीवन में बहुत रुपया, नाम, इज्ज़त कमाई है। लेकिन कभी बाहर की दुनिया का भ्रमण ही नहीं कर पाया। अब बेटों ने व्यवसाय बहुत अच्छी तरह संभाल लिया है तो दुनिया देखने निकला हूँ या मन की शांति खोजने। हिंदुस्तान के कई शहरों में घूम चूका हूँ। अब हरिद्वार की तरफ जा रहा हूँ। रेल का सफ़र मुझे हमेशा से पसंद है। हालांकि बड़े बेटे ने गाडी और ड्राइवर साथ ले जाने को कहा था। सारी उम्र गाड़ी और ड्राइवर के साथ ही तो घूमा हूँ मैं। मेरे विचार से जब तक आप दूसरे लोगों के साथ सफ़र ना करो दुनिया का असली रूप नज़र नहीं आता।