टुकड़ा-टुकड़ा ज़िन्दगी - 2

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फ़ैज़ान मियाँ एकदम खामोश हो गए। आलिया आखिर कैसा वादा चाह रही थी...बिन जाने कैसे खुदा को हाज़िर-नाज़िर जान कर वादा कर लें...? आलिया उनकी ख़ामोशी की आवाज़ भी सुन सकती थी, ये शायद वो अब भी नहीं समझे थे। इस लिए उसने ही बात स्पष्ट की...परेशान न होइए...ऐसा कुछ नहीं माँग रही, जिसे आप दे न पाएँ...। आपको आपकी सारा से छीनने का कोई इरादा नहीं हमारा...छीन कर करेंगे भी क्या...? हम तो सिर्फ़ इतना चाहते हैं कि आपकी और सारा की शादी में आपका सारा काम हम करें...।