इस कहानी में हीरो नहीं है

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कल रात बिस्तर पर लेते हुए ख्याल आया कि हमारे आस-पास के इंसानों पर तो हम सब कहानियां लिखते हैं और पढ़ते हैं. क्यूँ न अपने इर्द गिर्द रहने वाले जानवरों पर एक कहानी लिखी जाये. जब कहानी लिखने की बात आयी तो सबसे पहला सवाल यह उठा कि हमारे हीरो का नाम क्या हो ? तो जनाब इसके साथ ही एक और मसला आन खड़ा हुआ कि ये हमारा हीरो मर्द हो या औरत? दरअसल हमारा समाज दो वर्गों में बटा हुआ है. एक तो गाली देने वाले लोग और दुसर गाली खाने वाले लोग. होता यूँ है कि अक्सर गाली देने वाले मर्द कहलाते हैं और गाली खाने वाले औरत.