इंद्रधनुष सतरंगा - 9

  • 6.6k
  • 1.5k

शुरू-शुरू में तो ऐसा लगता था कि इस साल सूखा पड़ जाएगा, पर बारिश होना शुरू हुई तो शहर को चेरापूँजी बना डाला। आसमान जैसे बादलों के बोझ से झुक आया था। बारिश के तरसे लोग अब रोज़-रोज़ की बदली-बूँदी से ऊबने लगे थे। हफ्रता बीत चला था पर सूरज के दर्शन नहीं हुए थे। हर तरफ कीचड़-पानी की किचकिच फैली हुई थी। पानी थमा देखकर मौलाना साहब ने स्कूटर निकाला ही था कि ताक में बैठे मोबले दौड़े आए।