पीताम्बरी - 5 - Last Part

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आज सुबह से ही पीतो बेटे की प्रतीक्षा कर रही थी, अंशुमन का फोन आ गया था कि वह घर आ रहा है बाहर जीप रुकने की आवाज सुन कर पीतो बाहर की ओर दौड़ी अंशुमन जीप से उतर कर उसकी तरफ़ बढ़ रहा था उसे वर्षों पहले वाले आशुतोष याद आ गए, बिल्कुल वैसी ही चाल, लम्बाई, रंग-रूप ! बिल्कुल अपने पिता पर गया था अंशुमन पीतो के मन में एक टीस उठती है, ह्रदय वेदना से कराह उठता है