नजरों में

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चल विनोद बिजली बिल भर के आते हैं | हाँ चल | वहा से रवाना होते समय याद आया अरे चल-चल - चल विनोद मेने नया चश्मा बनवाने दिया हैं | वोह भी लेके आते हैं | विनोद - हा भाई चल पर कहाँ बनवाने दिया है | अरुण - गोविन्द केे वहा विनोद - ओह चल जेसेही हम दोनो वहा पहुँच तो गोविन्द तुरंत बोला अरे यार हेमंत अच्छा हुआ तू आगया | मुझे एक काम के लिए तुरंत बाहर जाना है | तू थोड़ी देर के लिए दुकान पर बैठ विनोद - अरे भाई मेभी आता हूँ मुझे