डेमोकिरेसी..

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आषाढ़ महीने की तेज हवाओं की तरह यह बात कुछ ही देर में पूरे इलाके में फ़ैल गई थी. प्रधानमंत्री इस इलाके का जायजा लेने आ रहे हैं. पहली बार हरिया ने सुना तो उसे भरोसा ही नहीं हुआ. चुनाव का मौसम या कोई आपदा का वक़्त होता तो शायद बात समझी भी जा सकती थी. 65 सालों में ऐसा कभी नहीं हुआ था. फिर अब ऐसी क्या बात हो गई कि उन्हें खुद यहाँ आना पड रहा है. उसने कई बार सोचा पर कोई ऐसा कारण नजर नहीं आया. वह जितना ही सोचता, उलझता जा रहा था.