भूत-खेली

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गाछी अगोरते अगोरते आंखें दुखने लगी हैं घूरना की और और टांगे भी। कौन चोर छौरा- छौरी के पीछे भागे। मुस्किल है मुसहर टोला के छौरा सबसे टिकोला बचा लेना। घूरना सबके पीछे चिचियाता हुआ भागता है तो छौरा सब मुंह चिढाता है..”आम के लकड़ी कराकरी..घूरना पादे भराभरी… ईईई..।“ खटिया पर लेटने का मौका ही नहीं मिलता। जैसे ही दोनो हाथ पीछे करके लेटता है कि ढेला फेंकने की आवाजें उसे बेदम कर देती हैं। भाग भाग के, हांफ हांफ के उसे किसी चीज की याद आती। एक एक आम गिन के तो आखं फूट ही जाएगी।