उधर डोली आशुतोष के दरवाजे पहुँचते ही आशुतोष की माँ और बहनें जल्दी से बहू उतारने आयीं, डोली में पीतो बेहोश थी किसी तरह उसके मुँह पर पानी के छींटे मार कर परछावन कर उसे भीतर ला कर लिटा दिया गया था शादी की खुशी क्या होती है कुछ भी महसूस ना कर पायी पीतो, बस यंत्रवत ससुराल के सभी रस्म निभाती गई