कई दिनो से सोच रही हूँ, कोई कहानी लिखूँ। आप भी सोचेंगे, ये कहानी लिखने का आइडिया मेरे दिमाग़ में आया कहाँ से...? मैं ठहरी एक आम सी, सीधे-साधे ढंग से अपनी गृहस्थी चलाने वाली साधारण औरत...मैं भला कहानी लिखना क्या जानूँ...? बिल्कुल सही कहा आपने...। अरे, कहानी लिखने के लिए संवाद चाहिए, पात्र होते हैं, घटनाक्रम होता है...और क्या कहते हैं उसे...हाँ, कथानक...एक बढ़िया सी थीम की भी तो दरकार होती है...। पर यह बात नीलम समझना ही नहीं चाहती। जब फोन करेगी, एक ही बात, माँ, कहानी लिखना शुरू कर दो...। इतनी अच्छी किस्सागो हो, बस अपनी बात को काग़ज़ पर उतार डालो...। तुम्हारा टाइम भी कटेगा और अगर छप गई तो नाम के साथ-साथ पैसा भी मिलेगा...सच्ची...।