सचि का बस्तामैं वेसे तो एक आम सा बस्ता हूँ पर खास तब बना जब मैं सचि का बस्ता बना…हा मैं ही हूँ सचि का बस्ता मैं ही सबसे जादा जानता हूँ उसे, शायद पोपटलाल को इतना दुलारा न होगा उसका छाता जितना सचि को हूँ मैं!ग्यारवी मे थी सचि जब सचि के पापा दुकानदार से मुझे खरीद के लाये! बाकी बस्तो जेसा ही था मे तीन ज़िप वाला गहरे कथ्थई रंग का स्कूल का बस्ता ! लेकिन सचि के लिए उसका हमसफर बन सा बन गया ॥कितनी भोंदू सी थी तब मेरी सचि , तेल डालके छोटि सी दो