इंद्रधनुष सतरंगा - 4

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शाम को जब सारे लोग पार्क में टहल रहे थे तो घोष बाबू ने कहा, ‘‘आज कितना सूना-सूना लग रहा है।’’ ‘‘हाँ, सचमुच,’’ गायकवाड़ उदासी से बोले। ‘‘पंडित जी हम लोगों के बीच उठते-बैठते ही कितना थे? पर आज उनके न होने से कितनी कमी महसूस हो रही है।’’ पटेल बाबू बोले। ‘‘अरे यार, तुम सब कैसी बातें कर रहे हो? पंडित जी हमेशा के लिए थोड़े ही गए हैं, आ जाएँगे दो एक दिनों में।’’ घोष बाबू ने माहौल हल्का करने की कोशिश में कहा।