भविष्य एक विनाशक अंत हैं

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प्राचीन काल में वर्तमान की तरह ना तो सुख सुवींधा थी ना ही आज के समान प्रगती और उपलब्धी किन्तु इन सब के बिना भी वो लोग हमारी तुलना में अत्या अधिक आनंदमय जीवन यापन किया करते थे वही दूसरी ओर। हमने विकास के नाम पर अपने आज के आधुनिक युग में एनेको अविष्कार। सफलता पुर्वक बनाएंकिंतु कुछ उपकरण हम पर हावी हो रहे हैं। कई बार लगता है मानो हमने अपना सम्पूर्ण जीवन ईन को समर्पित कर दिया होअधिकतर लोग वास्तविक संसार और सम्बन्ध के स्थान पर काल्पनिक खेल या अज्ञात व्यक्ति को अधिक महत्व देते है हमने