क्या यही प्यार है - 3

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भाग 3 "क्या यही प्यार हैं "रात के बारह बज चुके थे.... मेरी दास्तां सुनकर हबलदार की हालत सुमेर की हालत पतली दिखाई एक बाबरी का मसला कम था जो तू अपने बाबरे अरमानो को लेके यहां आ गया... अब कौनसा दंगा कराएगा तू... तो क्या सारी गलती मेरी हैं.. उसकी कोई नहीं.... जब मै प्यार व्यार के बारे मेँ कुछ भी नहीं जनता था तब उसने मुझें प्यार का ये रास्ता दिखाया.... तो फिर तू क्या चाहता हैं..? बस मै उससे मिलकर इतना पूछना चाहता हूं के उसने ऐसा क्यों किया...? मै ऐसे नहीं जाऊंगा.... ठीक हैं तो तू सच्चाई जाने बगैर नहीं जायेगा..? बिलकुल.... चल