बस शौक है लिखने का बचपन से ही, बहुत सरे पन्नो पे दिल की बातें लिखी हैं जिनमे से कई तो किसी को मालूम भी नहीं. हम सब ऐसा करते हैं. कुछ न कुछ तो ऐसा होता ही है जो किसी से नहीं कह पते. चाहे कैसे भी हों हम. कुछ न कुछ तो है जो खुद तक ही रह जाता है. हमारा दिमाग हमेश हमारे साथ एक लड़ाई लड़ता ही रहता है. इसको दोस्त बनाना बहुत मुश्किल है. इन सब चीज़ो में जो सबसे एहम शख्सियत है वो है “मैं ”. इसने हमेशा खुदको एहमियत दी . कभी कभी