दूसरी का चक्कर

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“दूसरी का चक्कर” आर 0 के 0 लाल उनके घर के सामने बड़ी भीड़ लगी हुई थी। सभी लोग इंतजार कर रहे थे कि चंदन की बॉडी अस्पताल से आ जाए और उन्हें अंतिम श्रद्धा सुमन अर्पित कर दें। लोग खड़े-खड़े तरह-तरह की बातें भी कर रहे थे। कुछ तारीफ कर रहे थे कि बड़ा अच्छा स्वभाव था चंदन का, सब से दोस्ती रखते थे, हमेशा हंसते रहते थे। आज तक उनकी लड़ाई किसी से नहीं हुई । आज विश्वास ही नहीं हो रहा है कि वे हम सब को इतनी जल्दी छोड़कर स्वर्ग सिधार गए। उनकी उम्र