पिनकोड

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पिनकोड:मैं किसी काम से हल्द्वानी बाजार गया था। बस स्टेशन से गुजर रहा था, नैनीताल की बस पर नजर पड़ी, सोचा नैनीताल घूम कर आऊँ। बिना उद्देश्य कहीं जाना भी मन को आन्दोलित तो करता है।बस में बैठ गया। बगल में दूसरा यात्री था। कुछ देर बाद बस चली। बगल का यात्री एक राजनैतिक दल को गाली दे रहा था और दूसरे दल की प्रशंसा कर रहा था।मैंने उसे अपना परिचय तबतक नहीं दिया था। वह छोटा व्यापारी था। काठगोदाम से ऊपर को जब बस गुजर रही थी तो मुझे लग रहा था जैसे मैं प्रकृति के सुन्दर द्वार में