क्या यही प्यार है.....? क्लास नॉर्सरी से आठवीं तक की पढ़ाई में काफ़ी नियम और क़ानून थे, वजह ये थी कि स्कूल स्वामी दीपनंद जी का था जिन्होंने समाज में अपनी छवि महान साध्विक जीवन जी कर बनाई थी उनके अनुयायी लाखों में थे और है भी स्कूल भारती निकेतन जो उसूलों और संस्कारो में पक्का भारतीय..... सुबह 7 बजे स्कूल शरू होता था जिसमें सबसे पहले बन्दे मातरम और फिर हनुमान चालीसा मौजूदा शिक्षक शिक्षिकाओं को भैयाजी और दीदी कहा जाता था वही सहपाठिकाओं को बहन और दीदी..... आठवीं के बाद नए स्कूल में पहुँचे जहाँ का माहौल बेहद बदला था